Shani Jayanti Mantra
जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे कि हमारे यहां नवग्रह की परिकल्पना की गई है यानी हमारे यहां यह माना जाता है कि इस ब्रह्मांड में नौ ग्रह हैं जो की सभी मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं इन्हीं नवग्रह में शनि देव एक महत्वपूर्ण ग्रह माने जाते हैं .
इनको एक क्रूर ग्रह के रूप में हम जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं की क्रूर होने के साथ-साथ न्यायाधीश और दंडाधिकारी भी है यानी मनुष्य जो भी कर्म करता है उसका फल देने का पूरा दायित्व शनि देव का ही है .
इसी कारण शनिदेव की जब भी दशा लगती है, लोगों को उनके कर्मों के फल मिलने प्रारंभ हो जाते हैं। शनि की ढैया और साढ़ेसाती (Shani Jayanti Mantra) अगर किसी के जीवन में भूचाल लेकर आती है तो किसी किसी के जीवन में वरदान बनकर भी आती है।
शनि देव कर्मों का फल देते हैं और भी कर्मों के ही ही अधिपति देवता हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि देव की पूजा अर्चना करके आप शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं तो इसके लिए शनिदेव की जयंती से बेहतर क्या दिन हो सकता है?
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शनि देव की जयंती क्यों मनाई जाती है ?
ऐसा माना जाता है कि शनि देव का इस दिन जन्म हुआ था इसलिए यह दिन आज भी शनि जयंती (Shani Jayanti Mantra) के रूप में मनाया जाता है.
शनि देव की जयंती कब मनाई जाती है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव का जन्म जयेष्ठ मास की अमावस्या के दिन हुआ था। यह दिन बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाते हैं सौभाग्यशाली स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन वट सावित्री व्रत भी करती हैं। (Shani Jayanti Mantra)
क्या महिलाएं शनि देव की पूजा कर सकती हैं?
महिलाएं शनिदेव की पूजा कर सकती हैं. वह उनके मंत्रों का जाप तथा शनि देव या शमी वृक्ष के सामने दिया जला सकती हैं लेकिन शनि देव की मूर्ति पर उन्हें तेल नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही उनकी मूर्ति को स्पर्श करना चाहिए .
शनि जयंती का महत्व?
शनि जयंती (Shani Jayanti Mantra) पर शनि देव की आराधना करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं . ऐसी मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से जिन लोगों पर ढैय्या या साढ़ेसाती का प्रभाव है वह शांत होता है।
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क्या करें शनि जयंती (Shani Jayanti Mantra) के दिन ?
शनि जयंती (Shani Jayanti Mantra) के दिन शनि देव की आराधना की जाती है और यह ऐसे ही है जैसे अन्य देवी देवताओं की पूजा हम करते हैं. इस दिन आप स्नान कर साफ सुथरा हो जाए आप चाहे तो इस दिन व्रत भी रख सकते हैं .
शनिदेव की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है इस समय में आप शमी वृक्ष या पीपल के पेड़ पर भी सरसों के तेल का दिया जला सकते हैं इसके अतिरिक्त अगर आपके घर के आसपास शनिदेव का मंदिर है तो आप वहां पर भी सरसों के तेल का दिया जला सकते हैं. शनि देव की मंदिर अथवा शमी वृक्ष के सामने आपको शनि देव के मंत्र का जाप करना अति उत्तम रहेगा.
शनि देव का प्रिय मंत्र कौन सा है?
शनि देव का प्रिय मंत्र है ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ | अतः आपको इस मंत्र की एक माला यानी 108 बार जाप अवश्य ही करना चाहिए . आपको परेशानी ना हो इसके लिए हमने शुद्ध उच्चारण में इस मंत्र को 108 बार आपके लिए उपलब्ध कराया है. आप चाहे तो इस लिंक पर क्लिक करके इस मंत्र का जाप कर सकते है.
जिन लोगों पर शनि देव की दशा ढैय्या अथवा साढ़ेसाती चल रही है उनको शनि देव की पूजा किस तरह करनी चाहिए?
ऐसी मान्यता है कि इस शनिदेव की पूजा करने से जिन लोगों पर ढैय्या या साढ़ेसाती का प्रभाव है वह शांत होता है। शनिदेव की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है अतः शनिदेव की आराधना के लिए, सूर्यास्त के बाद सरसों के तेल का दीया जलाकर, शनि स्त्रोत व शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए। अगर ऐसा संभव ना हो सके तो शनि की मंत्र ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ की एक माला करनी चाहिए। (Shani Jayanti Mantra).
जिन लोगों पर साडेसाती चल रही है वह प्रतिदिन यह शनि साडेसाती पीड़ा परिहार स्तोत्र कर सकते हैं। यह साडेसाती की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए एक अचूक उपाय है।आप प्रतिदिन इसको सूर्यास्त के बाद करें और कोशिश करें कि अपने कार्यों को ठीक रखें किसी का दिल ना दुखाए किसी के हक को ना मारे क्योंकि शनि देव न्यायाधीश है। (Shani Jayanti Mantra)
अगर आप इतना करते हैं तो आपको अवश्य ही शनिदेव की साडेसाती की पीड़ा से आराम मिलेगा। शुद्ध उच्चारण में शनि साडेसाती पीड़ा स्तोत्र सुनें
शनि देव की कृपा आप सभी पर हमेशा बनी रहे . जय शनि देव 🙏🙏🙏🙏🙏