Identity theft : सावधान!! कहीं आप की भी पहचान चोरी तो नहीं हो रही है!

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पहचान चोरी (Identity theft):

आज आपको बैंक में खाता खुलवाना हो या नया फोन नंबर लेना है ; राशन कार्ड बनवाना हो या फिर लोन लेना हो ; सभी जगह आईडी प्रूफ की जरूरत पड़ती है। इसके बिना कोई भी काम आज नहीं हो पाता!

लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि अगर कोई आपकी आईडेंटिटी (identity theft) चुरा लें तब क्या होगा!

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जी हां ! आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि भारत में आज यह धोखाधड़ी सबसे आम बात है। जनसंख्या का बहुत बड़ा प्रतिशत इस धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है।

पहचान चोरी का क्या मतलब है (Meaning of identity theft) :

किसी और की पर्सनल जानकारी को,अपना बनाकर पेश करना ही identity theft scamming है. इस पर्सनल जानकारी में ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, एड्रेस, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक अकाउंट, ईमेल एड्रेस, फोटो या फिर आपकी एकेडमिक डाक्यूमेंट्स कुछ भी हो सकते हैं।

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स्कैमर्स पहचान कैसे चुराते हैं (How scammers do identity theft):

1. इसके लिए स्कैमर्स फिशिंग (Phishing) का सहारा लेते हैं यानी किसी रेपुटेड कंपनी या बैंक के नाम से वे आपको फोन करते हैं या ईमेल भेजते हैं और वहां एक लिंक देकर आपको उस पर क्लिक करने के लिए कहते हैं। उदाहरण के लिए www.ajmer.com को www.ajrner.com (m को r से प्रतिस्थापित किया जाता है) लिखा जा सकता है जिससे सामने वाला व्यक्ति बड़े आराम से भ्रम में पड़ सकता है।

2. क्रेडिट कार्ड या किसी भी संबंध में फेक कर्मचारी बनकर, आप की डिटेल्स मांगना।

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3. आपके कंप्यूटर में या सिस्टम में मालवेयर डालना।फ्री का लालच देकर आपसे ऐसे सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करा लिया जाता है जिससे स्कैमर आपके पूरे सिस्टम को हैक कर लेता है।

4. लॉटरी, फीडबैक या फेक सर्वे के नाम पर भी आपकी इंफॉर्मेशन जुटा ली जाती है।

5. किसी सर्टिफिकेट या डॉक्यूमेंट बनवाने के लिए आपके सर्टिफिकेट लिए जाते हैं और उन्हें आगे स्कैमिंग के लिए सेव कर लिया जाता है।

 

 

स्कैमर्स पहचान चुराकर क्या-क्या फायदे ले सकते हैं (What benefits scammers can take by identity theft) :

1. आजकल जो सबसे ज्यादा कॉमन है। वह है किसी की भी पहचान चुरा कर (identity theft) उसके नाम पर लोन लेना। इसमें स्कैमर्स ज्यादातर पहचान किसी और व्यक्ति की लेकिन मोबाइल नंबर और एड्रेस अपना देते हैं। जिससे कि जिसकी पहचान चुराई गई है, उस व्यक्ति को पता ही नहीं लग पाता कि उसके नाम पर कोई लोन चल भी रहा है जब तक की लोन की रिकवरी के लिए उसके पास फोन या कोई लेटर ना आए।

2. किसी और की डिटेल्स देकर क्रेडिट कार्ड बनवा लेना।

3. किसी और की पहचान पत्र देकर, अपने लिए नया सिम लेना और फिर बाद में उसका गलत इस्तेमाल करना।

4. किसी की पर्सनल जानकारियों को देकर अपने लिए नया बैंक अकाउंट खुलवाना या फिर उस व्यक्ति के मौजूदा अकाउंट को प्रयोग करना।

5. किसी और का पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज देकर नौकरी करना या बड़ा अमाउंट बैंक में जमा करना।

6. किसी और के नाम पर सरकारी सेवाओं का फायदा लेना।

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आपकी पहचान चुराई गई है; यह कैसे पहचानें (how to recognize identity theft fraud):

अगर आपके पास अचानक से ईमेल या फोन पर बैंक के अलर्ट आने बंद हो गए हैं तो हो सकता है आपकी ईमेल एड्रेस को हैक कर लिया गया हो।

इसके अतिरिक्त आपके पास ऐसी कॉल आना कि आपका क्रेडिट कार्ड रिक्वेस्ट कैंसिल हो गयी है, जिसको कभी आपने अप्लाई किया ही ना हो।

ऐसे लोन की रिकवरी के लिए फोन या लेटर आना जिसे आपने कभी लिया ही ना हो।

किसी बिल का या यूटिलिटी सेवा का आप पर मैसेज आना कि आपने उसका बिल भरा नहीं है जबकि ऐसा नंबर या यूटिलिटी आपने प्रयोग ही नहीं की हो।

आपकी बैंक स्टेटमेंट में ऐसे ट्रांजैक्शंस या शॉपिंग दिखना जो आपने किया ही न हो।

यह सभी बातें identity theft की तरफ इशारा करती है।

 

पहचान चोरी से खुद को कैसे बचाएं (how to safeguard yourself from identity theft) :

जब भी किसी डॉक्यूमेंट की Xerox copy दें, उस पर किस वजह से वह दी जा रही है; उसका कारण और डेट लिखें।

बैंक और क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट को ध्यान पूर्वक देखें।

अपने बैंक अकाउंट का समय-समय पर पासवर्ड चेंज करने की हैबिट बनाएं और ध्यान रखें हमेशा सेम फॉर्मेट का पासवर्ड ना बनाएं।

किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर या अनजानी जगह पर अपनी सही डेट ऑफ बर्थ और एड्रेस ना लिखें।

अपने पर्सनल कंप्यूटर और मोबाइल के एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपडेट करते रहे।

किसी भी ईमेल s.m.s. मे लिंक को क्लिक न करें बल्कि उस ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर खुद लॉगइन करें।

अगर पहचान चुरा ली गई है तो क्या करें (what should do if identity theft happens):

अगर आपको ऐसा लग रहा है कि आपकी पहचान चुरा ली गई है तो सबसे पहले उस सोर्स का पता करें कि ऐसा कहां से हुआ है अपनी सभी ऑनलाइन एक्टिविटी पर ध्यान दें कि क्या आपने किसी नई वेबसाइट पर अपनी क्रेडिट कार्ड को प्रयोग किया है या आपने किसी अनजाने ईमेल का कोई जवाब दिया है या कोई नया एप या सॉफ्टवेयर अपने फोन या कंप्यूटर पर डाउनलोड किया है!

अपने सभी पासवर्ड्स को बदलें।

तुरंत अपने बैंक और इंश्योरेंस कंपनी को इसकी सूचना दें। आप ऐसे में अपने पुराने बैंक अकाउंट को बंद करा कर एक नया भी खुलवा सकते हैं।

अगर आप अपने को पीड़ित प्रूफ करना चाहते हैं तो सबसे पहले जाकर अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल में अपनी complaint दर्ज कराएं।
हो सकता है कि पुलिस आपकी केवल फॉर्मल रिपोर्ट ही दर्ज करें लेकिन तब भी यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको identity theft का victim दिखाने में पहला प्रूफ होगा। जो कि आगे के केस में आपकी सहायता करेगा।
इसके अतिरिक्त अगर आप पुलिस कंप्लेंट दर्ज नहीं कराते हैं तो आप क्षतिपूर्ति compensation दावा नहीं कर सकते हैं। यह पुलिस कंप्लेंट आपको नए अकाउंट और इंश्योरेंस को रिन्यू कराने में भी मदद करती है।

अपने कंप्यूटर की सिक्योरिटी को चेक करें देखिए कहीं उसमें मालवेयर वायरस तो नहीं। अगर ऐसा होगा तो वह आगे भी आप की जानकारियां चुराता रहेगा! अतः एक अच्छे अपडेटेड एंटीवायरस को अपने सिस्टम पर अपलोड करें और किसी एक्सपर्ट की वायरस को खत्म करने के लिए सलाह लें।

 

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