पितृ पक्ष और पितृ दोष – महत्व, लक्षण और निवारण उपाय
पितृ पक्ष क्या है? Pitra Paksh kya hai?
पितृ पक्ष (Pitra paksh) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण काल है, जो हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। यह समय पितृ दोष शांति (Pitra dosh shanti) के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है. माना जाता है कि इन 16 दिनों में हमारे पितर (पूर्वज) धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण व अन्न-जल स्वीकार करते हैं।
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पितृ पक्ष का महत्व (Pitra paksh ka mahatva):
पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का श्रेष्ठ समय।
श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
संतान सुख, स्वास्थ्य और धन संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं।
पितृ दोष क्या है? (Pitra dosh kya he?)
जब कुंडली में पितरों की अशांति या अधूरी इच्छाओं का प्रभाव दिखाई देता है, तो उसे पितृ दोष (Pitra Dosh) कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह दोष तब बनता है जब जन्मकुंडली में सूर्य, चंद्र, राहु या केतु की स्थिति अशुभ होती है।
कभी-कभी पितरों की असंतुष्टि भी वंशजों के जीवन में बाधाएँ उत्पन्न करती है।
पितृ दोष के लक्षण (Pitra dosh ke lakshan)
1. संतान सुख में बाधा या बार-बार गर्भपात।
2. घर में क्लेश और अचानक होने वाली समस्याएँ।
3. मेहनत करने के बाद भी सफलता न मिलना।
4. परिवार के सदस्यों का बार-बार बीमार होना।
5. घर में अशुभ घटनाओं का होना।
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पितृ दोष के निवारण उपाय (Pitra dosh shanti upay, Pitra dosh shanti)
प्रतिदिन अपने पूर्वजों को याद करके और उनका मंत्र करना.
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना।
अमावस्या के दिन पवित्र नदी में अन्न, तिल और जल अर्पण करना।
गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना व दान करना।
गीता पाठ, विष्णु सहस्रनाम या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना।
घर में तुलसी का पौधा लगाकर प्रतिदिन जल अर्पण करना।
अब बात करते हैं पितृ दोष की शांति (Pitra dosh shanti) के लिए मंत्र की! मित्रों अगर आप बहुत कुछ नहीं जानते हैं और सिंपल अपने घर में रहकर पितृ दोष की शांति (Pitra dosh shanti) करना चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसा मंत्र बताने वाले हैं जिसे आप घर पर जाप कर या यूट्यूब से सुनकर भी अपने पितृ दोष से शांति का उपाय कर सकते हैं. पितृ दोष शांति के लिए मंत्र सुनिए
इस मंत्र को आप 21 बार जाप करें या फिर आप यूट्यूब से सीधे सुन भी सकते हैं. यहां आपको शुद्ध उच्चारण में मंत्र दिया गया है.
यहां हम आपको दो मंत्र दे रहे हैं एक है पितृ दोष की शांति के लिए और दूसरा है पितरों के तर्पण के लिए यानी अगर आपकी कुंडली में पितृदोष नहीं बन रहा या फिर आप पितरों से आशीर्वाद चाहते हैं तो आप उस मंत्र को कर सकते हैं यानी जब आप पितरों को तर्पण करते हैं तो उस समय इस मंत्र को किया जाता है. पितृ तर्पण मंत्र
निष्कर्ष
पितृ पक्ष हमें यह सिखाता है कि पूर्वजों के बिना हमारा अस्तित्व अधूरा है। पितृ को हमसे केवल थोड़ा सा प्रेम और सम्मान चाहिए. हम सभी उन्हीं के लगाए हुए पौधे है अगर हम उनको प्रतिदिन सम्मान प्रेषित करते रहे तो उनका आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा. ध्यान रखिए कि “कल वह थे तो आज हम हैं” . यदि हम श्रद्धा और सच्चे मन से पितरों का स्मरण व श्राद्ध करते हैं, तो उनका आशीर्वाद जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देता है।
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❓ FAQ सेक्शन
1. पितृ पक्ष कब से कब तक होता है?
पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक (लगभग 16 दिन) मनाया जाता है।
2. पितृ दोष कैसे पता चलता है?
जन्म कुंडली में सूर्य, चंद्र, राहु या केतु की अशुभ स्थिति से पितृ दोष बनता है। इसके लक्षण जीवन में बार-बार बाधाएँ और परिवारिक अशांति होती है।
3. पितृ दोष दूर करने के उपाय क्या हैं?
श्राद्ध, तर्पण, दान, गीता पाठ और तुलसी सेवा से पितृ दोष दूर किया जा सकता है।
4. क्या पितृ पक्ष में शादी या शुभ काम हो सकते हैं?
नहीं, पितृ पक्ष को श्राद्ध और तर्पण के लिए रखा गया है। इस दौरान विवाह या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते।
5. पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए?
श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, दान और पितरों का स्मरण करना चाहिए। साथ ही ब्राह्मण व गरीबों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।

